गुजरात (गांधीनगर)
| ब्यौरे | विवरण |
|---|---|
क्षेत्रफल |
1,96,024 वर्ग किलोमीटर |
जनसंख्या |
6,03,83,628 * |
राजधानी |
गांधीनगर |
मुख्य भाषा |
गुजराती |
इतिहास और भूगोल
गुजरात का इतिहास ईसवी पूर्व लगभग 2,000 साल पुराना है। यह भी माना जाता है कि भगवान कृष्ण मथुरा छोड़कर सौराष्ट्र के पश्चिमी तट पर जा बसे, जो द्वारका यानी प्रवेशद्वार कहलाया। बाद के वर्षों में मौर्य, गुप्त, प्रतिहार तथा अन्य अनेक राजवंशों ने इस प्रदेश पर राज किया। चालुक्य (सोलंकी) राजाओं का शासनकाल गुजरात में प्रगति और समृद्धि का युग था। महमूद गजनवी की लूटपाट के बावजूद चालुक्य राजाओं ने यहां के लोगों की समृद्धि और भलाई का पूरा ध्यान रखा। इस गौरवपूर्ण काल के पश्चात गुजरात को मुसलमानों, मराठों और ब्रिटिश शासन के दौरान बुरे दिन देखने पड़े। आजादी से पहले गुजरात का वर्तमान क्षेत्र मुख्य रूप से दो भागों में बंटा था- एक ब्रिटिश क्षेत्र और दूसरा देसी रियासतें। राज्यों के पुनर्गठन के कारण सौराष्ट्र के राज्यों और कच्छ के केंद्रशासित प्रदेश के साथ पूर्व ब्रिटिश गुजरात को मिलाकर द्विभाषी बंबई राज्य का गठन हुआ। पहली मई, 1960 को वर्तमान गुजरात राज्य अस्तित्व में आया। गुजरात भारत के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसके पश्चिम में अरब सागर, उत्तर में पाकिस्तान तथा उत्तर-पूर्व में राजस्थान, दक्षिण-पूर्व में मध्य प्रदेश और दक्षिण में महाराष्ट्र है।
कृषि
गुजरात कपास, तंबाकू और मूंगफली का उत्पादन करने वाला देश का प्रमुख राज्य है तथा यह कपड़ा, तेल और साबुन जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराता है। यहां की अन्य महत्वपूर्ण नकदी फसलें हैं- इसबगोल, धान, गेहूं और बाजरा। गुजरात में वनों में उपलब्ध वृक्षों की जातियां हैं- सागौन, खैर, हलदरियो, सादाद और बांस।
उद्योग
राज्य में औद्योगिक ढांचे में धीरे-धीरे विविधता आती जा रही है और यहां रसायन, पेट्रो-रसायन, उर्वरक, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि उद्योगों का विकास हो रहा है।
सिंचाई और बिजली
राज्य में भूतलीय जल तथा भूमिगत जल द्वारा कुल सिंचाई क्षमता 64.88 लाख हेक्टेयर आंकी गई है जिसमें सरदार सरोवर (नर्मदा) परियोजना की 17.92 लाख हेक्टेयर क्षमता है। राज्य में जून 2010 तक कुल सिंचाई क्षमता 31.65 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई थी। जून 2010 तक अधिकतम उपयोग क्षमता 23.79 लाख हेक्टेयर आंकी गई।
परिवहन
सड़कें: सड़कें 2007-08 के अंत तक राज्य में सड़कों की कुल (गैर योजना, सामुदायिक, शहरी और परियोजना सड़कों के अलावा) लगभग 74,112 किलोमीटर थी।
उड्डयन: राज्य के अहमदाबाद स्थित मुख्य हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्ली और अन्य शहरों के लिए दैनिक विमान सेवा उपलब्ध है। अहमदाबाद हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिला है। अन्य घरेलू हवाई अड्डे वड़ोदरा, भावनगर, भुज, सूरत, जामनगर और राजकोट में हैं।
बंदरगाह: गगुजरात में कुल 41 बंदरगाह हैं। कांडला राज्य का प्रमुख बंदरगाह है। वर्ष 2009-10 के दौरान गुजरात के मंझोले और छोटे बंदरगाहों से कुल 2055.40 लाख टन माल ढोया गया जबकि कांडला बंदरगाह से 795 लाख टन माल ढ़ोया गया।
त्योहार
भाद्रपद्र (अगस्त-सितंबर) मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी, पंचमी और षष्ठी के दिन तरणेतरी गांव में भगवान शिव की स्तुति में तरणेतर मेला लगता है। भगवान कृष्ण रूक्मणी से विवाह के उपलक्ष्य में चैत्र (मार्च-अप्रैल) के शुक्ल पक्ष की नवमी को पोरबंदर के पास माधवपुर में माधवराय मेला लगता है।
उत्तरी गुजरात के बानसकांठा जिले में मां अंबा को समर्पित अंबाजी मेला आयोजित किया जाता है। राज्य का सबसे बड़ा वार्षिक मेला द्वारका और डाकोर में भगावान कृष्ण के जन्मदिवस जन्माष्टमी के अवसर पर बड़े हर्षोल्लास आयोजित होता है। इसके अलावा गुजरात में मकर सक्रंति, नवरत्रि, डांगी दरबार, शामलाजी मेले तथा भावनाथ मेले का भी आयोजन किया जाता है।
पर्यटन स्थल राज्य में द्वारका, सोमनाथ, पालीताना, पावागढ़, अंबाजी, भद्रेश्वर, शामलाजी, तरंगा, गिरनार जैसे धार्मिक स्थलों के अलावा महात्मा गांधी की जन्मभूमि पोरबंदर तथा पुरातत्व और वास्तुकला की दृष्टि से उल्लेखनीय पाटन, सिद्धपुर, घुरनली, दभाई, वड़नगर, मोधेरा, लोथल और अहमदाबाद जैसे स्थान भी है। अहमदपुर मांडवी, चोरवाड़, और तीथल के सुंदर तट, सतपुड़ा पर्वतीय स्थल, गिरि वनों में शेरों का अभयारण्य और कच्छ में जंगली गधों का अभयारण्य भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
पर्यटन स्थल
राज्य में द्वारका, सोमनाथ, पालीताना, पावागढ़, अंबाजी भद्रेश्वर, शामलाजी, तरंगा और गिरनार जैसे धार्मिक स्थलों के अलावा महात्मा गांधी की जन्मभूमि पोरबंदर तथा पुरातत्व और वास्तुकला की दृष्टि से उल्लेखनीय पाटन, सिद्धपुर, घुरनली, दभेई, बडनगर, मोधेरा, लोथल और अहमदाबाद जैसे स्थान भी हैं। अहमदपुर मांडवी, चारबाड़ उभारत और तीथल के सुंदर समुद्री तट, सतपुड़ा पर्वतीय स्थल, गिर वनों के शेरों का अभयारण्य और कच्छ में जंगली गधों का अभयारण्य भी पर्यटकों के आकर्षण का केद्र हैं।
* 2011 की जनगणना के आधार पर (अनंतिम डाटा)
स्रोत: इंडिया बुक 2012 - एक संदर्भ वार्षिक




