आयोजन
देश के विभिन्न भागों में गणतंत्र दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण समारोह और सशस्त्र सेनाओं तथा स्कूली बच्चों द्वारा परेड के आयोजन किए जाते हैं। इन परेडों का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण समारोह नई दिल्ली में कर्त्तव्य पथ पर आयोजित किया जाता है, जिसमें देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया जाता है।
इस परेड की अध्यक्षता भारत के राष्ट्रपति करते हैं। इस वर्ष मुख्य अतिथि फ्रांस के राष्ट्रपति श्री इमैनुएल मैक्रॉन थे। गणतंत्र दिवस परेड का एक मुख्य कार्य देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों का सम्मान करना और सैन्य कर्मियों और नागरिकों को वीरता पुरस्कार प्रदान करना है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (पीएमआरबीपी) उन बच्चों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने सात श्रेणियों (बहादुरी, कला और संस्कृति, पर्यावरण, नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा और खेल) में असाधारण क्षमताओं और उत्कृष्ट उपलब्धियों का प्रदर्शन किया है।
प्रेस विज्ञप्ति : कर्तव्य पथ पर 75वें गणतंत्र दिवस की परेड में महिलाओं को केंद्र में रखा जाएगा; 'विकसित भारत' और 'भारत-लोकतंत्र की मातृका इसके मुख्य विषय होंगे।
महान हस्तियों को सलाम
30 जनवरी, शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है जो उन शहीदों को सम्मान और श्रद्धांजलि देने के लिए नियत किया गया है जिन्होंने हमारे प्यारे देश की आजादी, कल्याण और प्रगति के लिए अंतत: अपना बलिदान दे दिया। वह 30 जनवरी, 1948 का दिन था जब महात्मा गांधी को मौत के घाट उतार दिया गया और तभी से हर वर्ष इस दिन राष्ट्र महात्मा और अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि देता है।
राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , प्रधानमंत्री रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुख राजघाट पर एकत्र होते हैं और रंग बिरंगे फूलों से सजी हुई महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्प माला अपर्ति करते हैं। अंतर सेवा सेनाओं की टुकड़ी अपने हथियार शहीदों के सम्मान में उलटे करते हैं। एक धार्मिक प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है और गांधी जी के मनपसंद भजन गाए जाते हैं।
बीटिंग रिट्रीट समारोह
विजय चौक पर हर वर्ष 29 जनवरी को चार दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोह के तौर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत के राष्ट्रपति होते हैं जो राष्ट्रपति के अंग रक्षकों के साथ एक बग्घी में समारोह स्थल पर पहुंचते हैं। जब राष्ट्रपति का आगमन होता है तो उनके अंग रक्षक राष्ट्रीय सलामी देने के लिए एकत्र होते हैं, जिसके बाद भारतीय राष्ट्रगान, जन गण मन बजाया जाता है और इसके बाद सामूहिक बैंड वादन सहित भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। समारोह के दौरान सेना का बैंड, पाइप और ड्रम बैंड, बिगुलवादक और बांसुरीवादक अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं और विभिन्न धुनें बजाते हैं। इसके अलावा नौ सेना और वायु सेना के बैंड भी कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं। भारतीय धुनों पर आधारित सेना के सैन्य बैंड द्वारा अनेक धुनें बजाई जाती हैं।
'बीटिंग द रिट्रीट' एक ऐसे राष्ट्रीय गर्व की घटना के रूप में आयोजित की जाती है जब रंगों और वर्णों की परेड की जाती है। यह समारोह 1950 की शुरूआत में आरंभ किया गया था जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने सामूहिक बैंड के प्रदर्शन का एक अनोखा समारोह स्वदेशी रूप से आरंभ किया। 'बीटिंग द रिट्रीट' शताब्दियों पुरानी सैन्य परम्परा का प्रतीक है जब सेनाएं युद्ध समाप्त करके लौटती थी और युद्ध के मैदान से वापस आने के बाद अपने अस्त्र शस्त्र उतार कर रखती थीं और सूर्यास्त के समय अपने शिविर में लौट आती थीं। इस समय झण्डे नीचे उतार दिए जाते थे। यह समारोह उस बीते समय की याद दिलाता है।
सबसे बड़ा समारोह नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है जहां ध्वजारोहण के बाद परेड की जाती है और जिसमें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया जाता है।
प्रेस विज्ञप्ति - बटिंग द रिट्रीट समारोह 2024 : बीटिंग रिट्रीट 2024 के आयोजन के दौरान विजय चौक सभी भारतीय धुनों से गूंज उठेगा